वर्तमान
वर्तमान में जीना कैसे सीखे ?
हमेशा कहा जाता है ," वर्तमान में जिओ " या " सकारात्मक दृश्टिकोण रखो "।
ये सब कहना जितना सरल है करना ,उतना ही कठिन।
व्यक्ति को वर्तमान में जीवन का पूर्ण आनंद लेने के बारे में बात करते है। अब वो आप पर है की , ये अपना वर्तमान जीवन प्रभु की भक्ति में लगाना चाहते है , या फिर यूँ ही व्यर्थ कर देना चाहते है। हमे श्रेष्ठ गुरु हमारे चरों और बिखरे प्राकृतिक सौंदर्य में दिव्यता के दर्शन करने के लिए प्रेरित करता है।
लेकिन यही बात अगर कष्ट में पड़े हुए व्यक्ति से कही जाये जो उसकी इच्छाओं का दमन करके साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति से कहा जाये तो उसे हसी आजायेगी।
उसका मानना है जैसे रोज सूरज उगता ही है ,पंछी चहकते ही है अब इसमें कैसा रोमाँच महसूस करु।
क्युकी ये सभी जानते है की हर पल को आनंद से जीने में ही असली मजा है लेकिन क्या आपको पता है कई लोगो को जीवन जीना ही नह अत है।
एक बहुत पुराणी कहावत है :"अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत " जो हो गया वो हो गया। पास्ट के चकर में G को नहीं खराब करना चाइय।
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