जिंदगी की रेस......

 

जिंदगी मे बहुत सारे ऐसे पड़ाव आता है जहा लगता है हम अकेले है लेकिन ऐसा नही है वो है न ऊपर वाला कसम से वो है तो किसी की कोई जरूरत नही होती है लोग बहुत मतलबी हो गये है।          जिंदगी मानो race सी हो गयी है सब एक दूसरे को हराने मे लगे है 
क्या दूसरों को नीचे करके ही जीता जा सकता है? आखिर क्यु नही हम हर किसी को अपना  समझ नही सकते फिर वो उसके feeling हो या कुछ भी माना बेवकूफ मत बनो लेकिन दिल के रिश्ते दिमाग से भी मत खेलो लेकिन आज के दौर मे लोग हर रिश्ते को दिमाग से चला रहे है यही कारण है की रिश्ते टिकते नही फिर कहते है आज का दौर ही कुछ ऐसा है मतलबी दुनिया दुनिया मतलबी नही हुई जनाब लोगों ने मतलब से लोगों को अपना कहना शुरू कर दिया है अपनापन लाईये रिश्तों मे अपने आप सब सही हो जायेगा। 
इसीलिए कहते है की
"अगर नियत अच्छी हो तो नसीब कभी बुरा नही होता "
कभी अपनी नियत अच्छी रख कर तो देखिये। 

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